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Sunday, December 16, 2018

दुनिया के सबसे अमीर इंसान बिल गेट्स की कहानी

william henry gates
28 oct 1955

''यदि आप गरीब परिवार में जन्मे हैं तो यह आपकी गलती नहीं है लेकिन यदि आप गरीब रहकर ही मर जाते हैं तो यह आपकी गलती है'' 
      ऐसा कहना है इस दुनिया के सबसे अमीर इंसान बिल गेट्स का जो अपनी सच्ची लगन और मेहनत के बल पर इस मुकाम पर आ पहुंचे हैं कि अगर वह इस विश्व में अपना एक अलग देश बनाएं तो भी वह दुनिया का 37वा सबसे अमीर देश होगा। बिल गेट्स प्रत्येक दिन लगभग 102 करोड रुपए कमाते है और कहा जाता है,कि बिल गेट्स अगर पूरी दुनिया में हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति का बराबर बराबर रुपया बाटे तो हर एक के हिस्से में करीब ₹5000 आएंगे। बिल गेट्स का वास्तविक नाम विलियम हेनरी गेट्स है इनका जन्म 28 अक्टूबर 1955 को वाशिंगटन के सिएटल में हुआ था बिल गेट्स के पिता विलियम एच गेट्स थे जो की एक मशहुर वकील थे। उनके माता-पिता उनके लिए लौ में कैरियर बनाने का स्वप्न लेकर बैठे थे लेकिन बिल को बचपन से कंप्यूटर और उनकी प्रोग्रामिंग भाषाओं में बहुत ज्यादा रुची थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लेकसाइड स्कूल में हुई। लेकसाइड स्कूल में विद्यार्थियों को कंप्यूटर सीखने, और उसे और अधिक जानने के लिए स्कूल की तरफ से कंप्यूटर दे दिया गया जिससे बिल गेट्स की कंप्यूटर में रुचि और बढने लगी। बिल को कंप्यूटर सीखने से ज्यादा यह जानने की रूचि थी कि आखिर ये काम कैसे करता है 
कुछ साल कंप्यूटर की जानकारी होने के बाद उन्होंने 13 साल की उम्र में बेसिक कंप्यूटर की भाषा में एक टिक टेक् टू नाम का प्रोग्राम बनाया था जो की एक तरह का गेम था इसमें खास बात यह थी कि कोई भी व्यक्ति इस गेम को कंप्यूटर के साथ खेल सकता था,मतलब उस गेम को  खेलने के लिए दो लोगों की आवश्यकता नहीं थी स्कूलिंग  के समय ही बिल गेट्स की मुलाकात पोल एलेन से हुई जो उनसे 2 साल सीनियर थे। अपनी कंप्यूटर की मिलती धारणा और विचारों की वजह से वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए। जबकि दूसरी तरफ उनके स्वभाव बिल्कुल भी नहीं मिला करते थे। पॉल एलन बहुत ही शर्मीले और शांत स्वभाव स्वभाव के थे लेकिन बिल गेट्स उनके विपरीत थोड़े चंचल स्वभाव के थे।बिल गेट्स के स्कूल वालो ने उन्हें और उनके दोस्त एलेन को कंप्यूटर लैब में जाने का रोग लगा दिया था क्योंकि वे दोनों अपने कंप्यूटर सीखने के वक्त के अलावा अपनी पढ़ाई छोड़ कर सारा वक्त लेब में बिताते थे और कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ किया करते थे। बाद में दोनों को फिर से इस शर्त पर लैब में आने की इजाजत मिल गई कि मैं प्रोग्राम्स प्रोग्राम्स में एरर निकालेंगे। इसी समय गेट्स ने एक और सॉफ्टवेयर प्रॉग्राम बनाया जो स्कूल के टाइम टेबल शेड्यूल में काम आता था। सन 1970 में 15 साल की उम्र में ही बिल गेट्स और एलेन ने मिलकर एक प्रोग्राम बनाया जो किसी शहर की ट्रैफिक पैटर्न पर नजर रखता था उन्हें इस प्रोग्राम के लिए $20000 मिले जो इनकी पहली कमाई थी 1973 में स्कूल से पासआउट हुए उसके बाद हावर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया लेकिन बिल गेट्स ने 1975 बिना ग्रेजुएशन के कॉलेज छोड़ दिया। और अपनी कंपनी की तरफ ध्यान देने लगे 26 नवंबर 1976 को उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को एक कंपनी के तौर पर रजिस्टर किया और देखते ही देखते कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की दुनिया में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर लिया बिल गेट्स की संपत्ति में भी बच्चों का कोई हक नहीं होगा। बिल कहते है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे लेकिन कमाई के लिए उन्हें अपने रास्ते खुद निकालने होंगे। गेट्स को बचपन से लोगों की मदद करना अच्छा लगता था और आज गरीबों जरूरतमंदों की मदद के लिए हर साल करोड़ों रुपया दान करते थे गेस्ट ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी उनका हमेशा से यही मानना था कि-
       ''गलतियां तो सभी से होती है लेकिन जो उन गलतियों को सुधारने का प्रयास करे वही जीवन में सफल हो पाता है।'' 

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