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Thursday, November 29, 2018

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपयी जी की जीवन कथा



    बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म  आज  सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं ..

                        - पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी 


            इसी तरह से ना जाने कितने कविताओं से लोगों के दिलों पर राज करने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी अब हमारे बीच नहीं रहे। लंबे समय से बीमार चल रहे वाजपेयी को 11 जून को एम्स में भर्ती किया गया था लेकिन तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने की वजह से अब वो हमें छोड़कर जा चुके हैं,अटल बिहारी जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके विरोधी भी उनका दिल से सम्मान करते है। और एक सच्चे राजनेता के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी एक अलग छवि अपनी मेहनत लगन से बनाई और शब्दों के माध्यम से अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने की अद्भुत कला ने ही उन्हें राजनीति में अलग पहचान दिलवाई वैसे इतने महान शख्सियत के पूरे जीवन को कुछ शब्दों में समेट पाना बहुत ही मुश्किल काम है लेकिन फिर भी चलिए इस ब्लॉग के जरिये हम अटल जी के पूरे सफर को जानने की कोशिश करते है।

       तो मित्रो इस कहानी की शुरुआत होती है 25 दिसंबर 1924 से जब मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म हुआ उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था जो कि एक टीचर थे और उनकी मां का नाम था कृष्णा देवी था अटल जी के पिता एक टीचर होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध कवि भी थे,और शायद अपने पिताजी से अटल बिहारी के अंदर भी कविताएं लिखने की रूचि आई। अटल जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर और गोरकी बड़ा ग्वालियर स्कूल से की,और फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में प्रवेश ले लिया। हलाकि आगे चलकर उन्होंने डीएवी कॉलेज कानपुर में मास्टर ऑफ आर्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। और मित्रो अटल जी शुरू से ही राजनीति से काफी लगाव रखते थे और इसीलिए जब सिर्फ 15 साल के थे तभी उन्होंने आरएसएस ज्वाइन कर लिया था और फिर आगे चलकर उन्हें 1942 में क्विट इंडिया मूवमेंट के दौरान अरेस्ट किया गया। और इसी वजह से उन्हें 23 दिन जेल में भी गुजारने पड़े थे हालाकि असल मायने में अटल जी का राजनीति में आगमन हुआ 1944 से, जब उन्हें ग्वालियर में आर्य समाज का जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। इसके अलावा आरएसएस के साथ में पहले से ही जुड़े हुए थे और इस उम्र तक आके उन्हीने यह डिसाइड कर लिया था कि देश की सेवा के लिए वह शादी नहीं करेंगे। और फिर आगे चलकर 1947 में जब अपना देश आजाद हुआ तब वे आर एस एस के फुल टाइम प्रचारक बन गए और फिर इसी साल उन्हें आर एस एस का विस्तारक बनाकर उत्तर प्रदेश भेज दिया गया जहां पर उन्होंने कई सारे न्यूज़ पेपर के लिए लिखना भी शुरू कर दिया और अब उनका कद धीरे-धीरे राजनीति के गलियारों में बढ़ने लगा था। 1957 में वह पहली बार भारतीय जनसंघ पार्टी में रहते हुए दो अलग-अलग जगहों से लोकसभा का चुनाव लड़े, जिसमे वह मथुरा से तो नहीं जीत सके लेकिन बलरामपुर से जीतने में वे कामयाब रहे और उसी समय उनके भाषण देने के कमाल की क्षमता को देखकर उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि अटल बिहारी जरूर ही किसी दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे और फिर दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद से भारतीय जनसंघ पार्टी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी अटल जी के जवान कंधो पर थी। हालाकि आगे चलकर 1975 से 1977 में इमरजेंसी के दौरान उन्होंने कई सारे नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया। लेकिन जब 1977 में दोबारा से इलेक्शन हुए तो जनता दल ने सरकार बनाई जिसमे मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने और अटल जी को उस वक्त का विदेश मंत्री बनाया गया। और दोस्तों अटल जी के अटल जी के पहले ऐसे भारतीय विदेश मंत्री थे जिन्होंने यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में हिंदी भाषा में अपना भाषण दिया था। हलाकि1979 में जनता दल की सरकार गिर गई लेकिन तब तक अटल जी खुद को एक सम्माननीय राजनेता के तौर पर स्थापित कर चुके थे। और फिर 1980में अटल जी ने अपने लंबे समय से मित्र रहे लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। और इस तरह से पार्टी के पहले अध्यक्ष नियुक्त किये गए। हालांकि 1984 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ दो सीट ही हासिल हुई। इसमे एक अटल जी को और दूसरी लालकृष्ण आडवाणी को। लेकिन इस हार से अटल जी को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा और वह अपना काम करते रहे और फिर धीरे-धीरे आगे चलकर 1996 तक अटल जी की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। और वह पहली बार पहली बार 16 मई 1996 को भारत के प्रधानमंत्री बने लेकिन दुर्भाग्यवश यह सरकार चुकी गठबंधन की सरकार थी इसिलिये ज्यादा नहीं चल सकी और सिर्फ 13 दिन के बाद अटल जी ने इस्तीफा देकर सरकार को गिरा दिया। और फिर आगे चलकर 1998 में जब एक बार फिर से चुनाव तो यहां पर बीजेपी ने एनडीए के साथ मिल कर एक बार फिर से सरकार बनाई लेकिन यह सरकार भी सिर्फ 13 महीने में ही गिर गई लेकिन उसी दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट करने के आदेश दिए थे। हालाकी सरकार गिरने के कुछ समय के बाद फिर से चुनाव कराए गए और फिर इस बार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 303 सीट मिली और इस तरह से 13 अक्टूबर 1999 को अटल जी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपत ली और इस बार वे अपना टर्म पूरा करने में भी कामयाब रहे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बहुत सारे अच्छे काम किए जिसे की भारत की अर्थव्यवस्था भी काफी आगे बढ़ सकी। लेकिन 2004 के चुनाव में हार के बाद से उन्होंने अपनी उम्र को देखते हुए राजनीति से संयास ले लिया। लेकिन आज भी हर पार्टी के राजनेता उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और देश के हित में किए गए उनके शानदार काम के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही उनकी देशभक्ति और देश के प्रति सोच आप उनके बहुत सारी किताबों और कविताओं के जरिए भी देख सकते हैं।भले ही वह आज हमारे बीच नहीं रहे लेकिन वह हमारे दिलों में हमेशा ही जिंदा रहेंगे ।
             आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद धन्यवाद।


 आप अटल बिहारी वाजपेयी जी  के बारे में   क्या  सोचते है हमें कमेंट करके जरूर बताए और हा आप ये भी बताए की आप किस महान व्यक्ति  की जीवनी जानना चाहते है

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