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| stephen hawkings great scientist of the world |
''मुझे मौत से कोई डर नहीं लगता लेकिन मुझे मरने की भी कोई जल्दी नहीं है क्योंकी मरने से पहले जिंदगी में बहुत कुछ करना बाकी है''ऐसा कहना है महान और अद्भुत वैज्ञानिक स्टीफेन हौकिंग का जिसके शरीर का कोई भी अंग काम नहीं करता, वो चल नहीं सकते,वो बोल नहीं सकते,वो कुछ कर नहीं सकते लेकिन फिर भी जीना चाहते है स्टीफेन हौकिंग का कहना है-
कि ''मृत्यु तो निश्चित है लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच कैसे जीना चाहते है वह हम पर निर्भर करता है।
चाहे जिंदगी कितनी भी कठिन हो आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकते है और सफल हो सकते है''
स्टीफेन का जन्म 8 जनवरी 1942 में इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड शहर में हुआ था। जब स्टीफेन का जन्म हुआ उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था, स्टीफेन हाकिंग के माता-पिता लन्दन के highgate सिटी में रहते थे जहाँ पर अक्सर बमबारी हुआ करती थी जिसकी वजह से वह अपने पुत्र जन्म क लिए ऑक्सफ़ोर्ड चले गए जहाँ पर सुरक्षित रूप से स्टीफेन हॉकिंग्स का जन्म हो सका। बचपन से ही हॉकिंग्स बहुत ही इंटेलिजेंट थे। उनके पिता डॉक्टर और माँ एक हाउसवाइफ थी,स्टीफन की बुद्धि का परिचय इसी बात से लगाया जा सकता है कि बचपन में लोग उन्हें आइंस्टीन कहकर पुकारते थे उन्हें गणित में बहुत दिलचस्पी थी यहां तक कि उन्होंने पुराने इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से कंप्यूटर बना दिया था।
17 वर्ष की उम्र में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले लिया, एक्सपोर्ट में पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने दैनिक कार्यों को करने में थोड़ी दिक्कत आने लगी थी। एक बार स्टीफेन छुट्टियां मनाने के लिए अपने घर पर आए हुए थे तभी सीढ़ियों से उतरते समय वह बेहोश हो गए और नीचे गिर गए। शुरू में तो सभी ने कमजोरी मात्र समझ कर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन बार-बार इसी तरह के बहुत से अलग-अलग प्रॉब्लम्स होने के बाद जांच करवाया तो पता चला कि उन्हें कभी ना ठीक होने वाली बीमारी है इसका नाम neuron mortor disease था,इस बीमारी में मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली सारी नसे धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है जिससे शरीर अपंग हो जाता है और पूरे अंग काम करना बंद कर देते है । डॉक्टर का कहना था की स्टीफेन अब सिर्फ दो और वर्ष जी सकते हैं क्योकि अगले 2 सालों में उनका पूरा शरीर धीरे धीरे काम करना बंद कर देगा। स्टीफेन को भी इस बात से बड़ा सदमा बड़ा सदमा लगा। लेकिन उन्होंने कहा मैं ऐसे नहीं मर सकता मुझे जीवन में बहुत कुछ करना तो अभी बाकी है स्टीफेन ने अपनी बीमारी को दरकिनार कर तुरंत अपने वैज्ञानिक जीवन का सफर शुरू किया और अपने आप को पूरी तरह विज्ञान को समर्पित कर दिया।धीरे-धीरे उनकि ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी। उन्होंने अपनी बीमारी को एक वरदान के रूप में समझ लिया था लेकिन वहीं दूसरी तरफ उनका शरीर भी उनका साथ छोड़ता चला जा रहा था। धीरे-धीरे उनका बाया हिस्सा पूरा काम करना बंद कर दिया। बीमारी बढने पर उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा।उनकी यह चेयर एक कंप्यूटर के साथ बनी है जो उनके सर,उनकी आंखों और उनके हाथों के कंपन से पता लगा लेती है की वो क्या बोलना चाह रहे हैं धीरे धीरे स्टीफेन का पूरा शरीर काम करना बंद कर दिया था लेकिन उस बीमारी में एक प्लस पॉइंट भी था की इस बीमारी से स्टीफेन सिर्फ शारीरिक रूप से अपग हो रहे थे न की मानसिक रूप से। उसके बाद लोग यूही देखते चले गए और और हॉकिंग्स मौत को मात पे मात दे रहे थे उन्होंने ब्लैक होल का कॉन्सेप्ट और हौकिंग रेडिएशन का महान विचार दुनिया को दिया। उन्होंने अपने विचारों को और सरल भाषा में समझाने के लिए एक किताब लिखी a brief history of time जिसने दुनियाभर के विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया। अंततः स्टीफेन हॉकिंग्स ने 14 मार्च 2018 की सुबह अपने घर केब्रिज में अंतिम साँसे ली और 76 वर्ष की उम्र में वे हमें और इस दुनिया को हमेशा-हमेशा छोड़कर चले गए। दोस्तों स्टीफेन हॉकिंग्स एक ऐसा नाम है जिन्होंने शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद अपने आत्मविश्वास के बल पर विश्व का सबसे अनूठा वैज्ञानिक बनकर दिखाया है जो विश्व में ना केवल अद्भुत लोगों,बल्कि सामान्य लोगों के लिए प्रेरणा बने। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। इसको लाइक करके आप हमारा मनोबल बढ़ा सकते है। मैं हर बार एक मोटिवेशनल एवं ज्ञानवर्धक कहानी के साथ आता हूँ। दोस्तों अगर आप हमारे लिखे हुए कंटेंट को मिस नहीं करना चाहते तो हमारे ब्लॉग को फॉलो करना बिलकुल भी न भूले धन्यवाद।
17 वर्ष की उम्र में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश ले लिया, एक्सपोर्ट में पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने दैनिक कार्यों को करने में थोड़ी दिक्कत आने लगी थी। एक बार स्टीफेन छुट्टियां मनाने के लिए अपने घर पर आए हुए थे तभी सीढ़ियों से उतरते समय वह बेहोश हो गए और नीचे गिर गए। शुरू में तो सभी ने कमजोरी मात्र समझ कर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन बार-बार इसी तरह के बहुत से अलग-अलग प्रॉब्लम्स होने के बाद जांच करवाया तो पता चला कि उन्हें कभी ना ठीक होने वाली बीमारी है इसका नाम neuron mortor disease था,इस बीमारी में मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली सारी नसे धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है जिससे शरीर अपंग हो जाता है और पूरे अंग काम करना बंद कर देते है । डॉक्टर का कहना था की स्टीफेन अब सिर्फ दो और वर्ष जी सकते हैं क्योकि अगले 2 सालों में उनका पूरा शरीर धीरे धीरे काम करना बंद कर देगा। स्टीफेन को भी इस बात से बड़ा सदमा बड़ा सदमा लगा। लेकिन उन्होंने कहा मैं ऐसे नहीं मर सकता मुझे जीवन में बहुत कुछ करना तो अभी बाकी है स्टीफेन ने अपनी बीमारी को दरकिनार कर तुरंत अपने वैज्ञानिक जीवन का सफर शुरू किया और अपने आप को पूरी तरह विज्ञान को समर्पित कर दिया।धीरे-धीरे उनकि ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी। उन्होंने अपनी बीमारी को एक वरदान के रूप में समझ लिया था लेकिन वहीं दूसरी तरफ उनका शरीर भी उनका साथ छोड़ता चला जा रहा था। धीरे-धीरे उनका बाया हिस्सा पूरा काम करना बंद कर दिया। बीमारी बढने पर उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा।उनकी यह चेयर एक कंप्यूटर के साथ बनी है जो उनके सर,उनकी आंखों और उनके हाथों के कंपन से पता लगा लेती है की वो क्या बोलना चाह रहे हैं धीरे धीरे स्टीफेन का पूरा शरीर काम करना बंद कर दिया था लेकिन उस बीमारी में एक प्लस पॉइंट भी था की इस बीमारी से स्टीफेन सिर्फ शारीरिक रूप से अपग हो रहे थे न की मानसिक रूप से। उसके बाद लोग यूही देखते चले गए और और हॉकिंग्स मौत को मात पे मात दे रहे थे उन्होंने ब्लैक होल का कॉन्सेप्ट और हौकिंग रेडिएशन का महान विचार दुनिया को दिया। उन्होंने अपने विचारों को और सरल भाषा में समझाने के लिए एक किताब लिखी a brief history of time जिसने दुनियाभर के विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया। अंततः स्टीफेन हॉकिंग्स ने 14 मार्च 2018 की सुबह अपने घर केब्रिज में अंतिम साँसे ली और 76 वर्ष की उम्र में वे हमें और इस दुनिया को हमेशा-हमेशा छोड़कर चले गए। दोस्तों स्टीफेन हॉकिंग्स एक ऐसा नाम है जिन्होंने शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद अपने आत्मविश्वास के बल पर विश्व का सबसे अनूठा वैज्ञानिक बनकर दिखाया है जो विश्व में ना केवल अद्भुत लोगों,बल्कि सामान्य लोगों के लिए प्रेरणा बने। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। इसको लाइक करके आप हमारा मनोबल बढ़ा सकते है। मैं हर बार एक मोटिवेशनल एवं ज्ञानवर्धक कहानी के साथ आता हूँ। दोस्तों अगर आप हमारे लिखे हुए कंटेंट को मिस नहीं करना चाहते तो हमारे ब्लॉग को फॉलो करना बिलकुल भी न भूले धन्यवाद।
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