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Monday, December 3, 2018

लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफलता की कहानी

डरते तो वह हैं जो अपनी छवि के लिए मरते हैं,मैं तो हिंदुस्तान की छवि के लिए मरता हूं और इसीलिए किसी से भी नहीं डरता हूं।

      ऐसा कहना है दुनिया की सबसे शक्तिशाली लोगों में शामिल भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिन्हें हमारे देश की राजनीति की वजह से आप प्यार करें या फिर नफरत, लेकिन उनके कार्यों को अनदेखा नहीं कर सकते। दोस्तों वैसे तो मोदी जी का जीवन बहुत ही साधारण तरीके से शुरू हुआ। मगर अपनी देशभक्ति,अपने जज्बे और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने ऐसी सफलता हासिल की जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। वे एक बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए। अपने बचपन के दिनों में जब बच्चे खेलने कूदने में अपना समय व्यतीत करते हैं तब उन्होंने अपने घर की आर्थिक सहायता के लिए अपने पिता की दुकान में हाथ बटाया और ट्रेन की डिब्बों में जाकर चाय बेची। लेकिन दोस्तों अगर आप के अंदर अपने देश के लिए कुछ कर जाने की इच्छा हो ना तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं रह जाता। 

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।

        आइये दोस्तों हम शुरू से मोदी जी के चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के अद्भुत सफर को अद्भुत सफर को जानते हैं नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को बॉम्बे राज्य के मेहेसान जिले में वडनगर नाम के गांव में हुआ था, दोस्तों बता दूँ  की बॉम्बे राज्य पहले भारत का एक राज्य था जिसे 1 मई 1960 में अलग कर गुजरात और महाराष्ट्र बना दिया गया। अब मोदी जी का जन्मस्थान गुजरात राज्य के अंतर्गत आता है नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी था और मां का नाम हीराबेन मोदी है जन्म के समय उनका परिवार बहुत ही गरीब था और वे एक छोटे से मकान में रहते थे, नरेंद्र मोदी अपने माता पिता की कुल 6 संतानो में तीसरे पुत्र हैं मोदी के पिता रेलवे स्टेशन पर चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे, जिसमें नरेंद्र मोदी भी उनका हाथ बटाते थे और रेल के डिब्बों में जा-जाकर चाय बेचते थे। लेकिन हा चाय की दुकान संभालने के साथ-साथ  मोदी पढ़ाई-लिखाई का भी पूरा ध्यान देते थे। मोदी के टीचर बताते हैं नरेंद्र पढ़ाई लिखाई में तो एक ठीक-ठाक छात्र थे लेकिन वे नाटको और भाषणों में जमकर हिस्सा लेते थे और उन्हें खेलकूद में भी बहुत दिलचस्पी थी। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई वडनगर से पूरी की। सिर्फ 13 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी की सगाई जशोदाबेन चमनालाल के साथ कर दी गई और फिर 17 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक न्यूज़ के अनुसार नरेंद्र और जसोदा ने कुछ वर्ष साथ बिताए, लेकिन कुछ समय बाद नरेंद्र मोदी के इच्छा से वे दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी हो गए। लेकिन नरेंद्र मोदी के जीवन लेखक ऐसा नहीं मानते हैं उनका मानना है कि उन दोनों की शादी जरूर हुई लेकिन वे दोनों एक साथ कभी नहीं रहे। शादी के कुछ वर्षों बाद नरेंद्र मोदी ने घर छोड़ दिया और एक तरह से उनका वैवाहिक जीवन लगभग समाप्त सा हो गया। नरेंद्र मोदी का मानना है कि एक शादीशुदा के मुकाबले अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्यादा जोरदार तरीके से लड़ सकता है क्योंकि उसे  अपनी पत्नी,परिवार और बाल बच्चो की कोई चिंता नहीं रहती। बचपन से ही मोदी में देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी। 1962 में जब भारत-चीन युद्ध हुआ था उस समय मोदी रेलवे स्टेशन पर जवानों से भरी ट्रेनों में उनके लिए खाना और चाय लेकर जाते थे 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी मोदी ने जवानों की खूब सेवा की थी। 1971  में वे आरएसएस प्रचारक बन गए और अपना पूरा समय  आरएसएस को देने लगे। वे वहां सुबह 5:00 बजे उठ जाते और देर रात तक काम करते। प्रचारक होने की वजह से मोदी जी ने गुजरात की अलग-अलग जगहों पर जाकर जगहों पर जाकर पर जाकर लोगों की समस्याओं को बहुत करीब से समझा और फिर भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।1975 के आसपास में राजनीति क्षेत्र में विवाद की वजह से उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई राज्यों में आपातकालीन घोषित कर दिया था और तब आरएसएस जैसी संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था,फिर भी मोदी चोरी छिपे देश की सेवा करते रहे और सरकार की गलत नीतियों का जमकर विरोध किया। उसी समय मोदी जी ने एक किताब भी लिखी थी जिसका नाम संघर्ष मा गुजरात था इस किताब में उन्होंने गुजरात की राजनीति के बारे में चर्चा किया था। उन्होंने आर एस एस के प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीजी की डिग्री प्राप्त की। आरएसएस में बेहतरीन काम को देखते हुए उन्हें भाजपा में नियुक्त किया गया। जहां उन्होंने 1990 में आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा का भव्य आयोजन किय। जिसे भाजपा के सीनियर लीडर काफी प्रभावित हुए। आगे भी उनके अद्भुत कार्य की बदौलत भाजपा में उनका महत्व बढ़ता रहा,आखिरकार मोदी की मेहनत रंग लाई और उनकी पार्टी ने गुजरात में 1995 के विधानसभा चुनाव में बहुमत में अपनी सरकार बना ली। लेकिन मोदी से कहासुनी होने के बाद शंकर सिंह वघेला ने पार्टी से रिजाइन दे दिया। उसके बाद केशु भाई पटेल को पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया और नरेंद्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन के लिए केंद्रीय मंत्री कि जिम्मेदारी दि गयी। मोदी जी ने इस जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया। 2001 में केशुभाई पटेल की सेहत बिगड़ने लगी और भाजपा चुनाव में कई सीटे भी हार रही थी। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने  अक्टूबर 2001 में केशु भाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी। नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री का अपना पहला कार्यकाल 7 अक्टूबर 2001 से शुरु किया। इसके बाद मोदी ने राजकोट विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अश्विन मेहता को बड़े अंतर से मात दी। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए, मोदी ने बहुत ही अच्छी तरीके से अपने कार्यों को संभाला और गुजरात को फिर से मजबूत कर दिया, उन्होंने गांव-गांव तक बिजली पहुंचाई, टूरिज्म को बढ़ावा दिया, देश में पहली बार किसी राज्य की सभी नदियों को एक साथ जोड़ा गया।  जिससे पूरे राज्य में पानी की समस्या का समाधान हो गया। एशिया की सबसे बड़ी सोलर पार्क का निर्माण भी गुजरात में हुआ और इन सब के अलावा भी उन्होंने बहुत सारे अद्भुत कार्य किए और और देखते ही देखते गुजरात को भारत का सबसे बेहतरीन राज्य बना दिया और वे खुद भी गुजरात की सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन उसी बीच मार्च 2002 में गुजरात के गोधरा कांड से नरेंद्र मोदी का नाम जोड़ा गया, इस कांड के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। और फिर कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग की। दोस्तों गोधरा कांड में 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा नाम के शहर में रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन की एस-6 कोच में आग लगाए जाने के बाद 59 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे होना शुरू हो गए और फिर 28 फरवरी 2002 को गुजरात के कई इलाकों में दंगा बहुत ज्यादा भड़क गया। जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए। इसके बाद इस घटना की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल बनाई।  और फिर दिसंबर 2010 में जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया की इन दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला। उनके अच्छे निर्णय और कार्यों की वजह से गुजरात के लोगों ने मोदी को चार बार लगातार अपना मुख्यमंत्री बनाया। गुजरात में मोदी की सफलता देखकर बीजेपी के सीनियर नेताओं ने मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जिसके बाद मोदी ने पूरे भारत में बहुत सारी रैलियां की और साथ ही साथ उन्होंने सोशल मीडिया का भी भरपूर लाभ उठाया और लाखों लोगों तक अपनी बात रखी मोदी के अद्भुत विकासशील कार्य उनकी प्रेरणादायक भाषण देश के लिए उनका प्यार और उनकी सकारात्मक सोच की वजह से उन्हें भारी मात्रा में वोट मिले और वे भारत के 15वें प्रधानमंत्री बने। दोस्तों नरेंद्र मोदी एक बहुत ही मेहनती व्यक्ति है वह 18 घंटे काम करते हैं और कुछ ही घंटे सोते हैं दोस्तों मोदी जी का कहना है कि कड़ी मेहनत कभी थकान नहीं लाती है वह तो बस संतोष लाती है। नरेंद्र मोदी शुद्ध शाकाहारी है और नवरात्रि की 9 दिन उपवास रखते हैं वे अपनी सेहत का भरपूर ध्यान रखते हैं और प्रतिदिन योग करते हैं भले ही वे कही पर भी हो। मोदी जी अपनी माँ से बहुत प्यार करते हैं उनका कहना है कि मेरे पास अपने बाबा दादा की ना ही एक पाई है और ना ही मुझे चाहिए मेरे पास अगर कुछ है तो अपनी माँ का दिया आशीर्वाद।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद |

आप नरेंद्र मोदी जी के बारे में क्या सोचते है और आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताए और हा आप ये भी बताए की आप किस महान व्यक्ति  की जीवनी जानना चाहते है

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